ह्दय से निकली हुई भावना को ही प्रार्थना के रुप में ईश्वर के समक्ष रखते हैं। संसार में अनेक धर्मों के अनुयायी रहते हैं। उनकी भाषायें अलग-अलग होती हैं परन्तु सभी लोग प्रार्थना के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। प्रार्थना में हम ईश्वर की प्रशंसा करते हैं। भगवान अपने भक्तों की प्रार्थना स्वीकार कर उन्हें मनवांच्छित वरदान प्रदान करते हैं। कई बार तो ऐसा भी सम्भव हुआ है कि जिस व्यक्ति को डाॅंक्टरों ने लाइलाज घोषित कर दिया हो वह व्यक्ति प्रार्थना से ठीक हो गया है । ँ यह सच्चे ह्दय से की गई प्रार्थना को भगवान अवश्य स्वीकार करतें हैं।
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